हनी ट्रैप के दौरान चर्चा में आए बस्तर के एनजीओ पर सरकारी शिकंजा,एनजीओ के तार अरण्य भवन से जुड़े,सभी कार्यादेश रद्द कर बिठाई जांच,ब्लैक लिस्टेड व एफआईआर की तैयारी

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रायपुर। मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप कांड के दौरान चर्चा में आए बस्तर के एक एनजीओ पर राज्य सरकार ने शिकंजा कस दिया है। एक शिकायत पर वन विभाग ने एनजीओ के पिछले एक साल के कामकाज की जांच करने का फरमान जारी कर दिया है। मुख्य वनसंरक्षक जगदलपुर तथा कांकेर से 24 अप्रैल तक रिपोर्ट मांगी गई है, जिसके बाद इस एनजीओ को ब्लैक लिस्टेड करके उसके खिलाफ अपराध पंजीबध्द करने की तैयारी है।

बस्तर के यह विवादित एनजीओ बीते चार-पांच साल से वन तथा अन्य विभागों में काम कर रहा है लेकिन बीते एक साल में एनजीओ को वन विभाग से जिस तरह से करोड़ों रुपए के काम दिए गए और कामों का परीक्षण किए बगैर करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया गया, उसकी जानकारी मिलते ही विभाग के आला अफसरों के कान खड़े हो गए। वन मुख्यालय अरण्य भवन में विभाग की गुप्त शाखा की तरफ से जुटाए गए तथ्यों में एक बात निकलकर आई है कि इस एनजीओ पर अरण्य भवन में पदस्थ भारतीय वन सेवा के एक आला अफसर का वरदहस्त है।जिसके कारण बस्तर संभाग के जिलों के वनमंडलाधिकारी नियम-कायदों की अनदेखी करके काम देते रहे हैं। बीते कुछ सालों में और खासकर पिछले एख साल में इस एनजीओ को प्रशिक्षण व जागरूकता के अलावा जैव विविधता के तहत पीवीआर तथा बीएमसी बनाने के करोड़ों के कई काम दिए गए। ऐसा करते समय नियम-कायदों की खुकर धज्जियां उड़ाई गईं।

कागजों पर काम करके लाखों पाए
वन विभाग के मुख्यालय अरण्य भवन को मिली सूचनाओं के अनुसार इस एनजीओ ने किसी भी जिले में आवंटित काम को सही तरीके से नहीं किया। कागजों पर आवंटित कामों को करके लाखों रुपए का भुगतान हासिल करने में सफलता हासिल की। बस्तर संभाग के जंगल दफ्तरों से लेकर मुख्यालय अरण्य भवन तक इस एनजीओ के कार्यादेश तथा भुगतान को आसानी से किया जाता रहा क्योंकि अरण्य भवन में पदस्थ भारतीय वन सेवा के एक आला अफसर की इसमें निजी रुचि रही है।

रेंजरों ने की शिकायत
खबर है कि इस एनजीओ संचालक की शिकायत कुछ रेंजरों ने भी की है। मुख्यालय पहुंची सूचनाओं के अनुसार एनजीओ संचालक की तरफ से प्रधान मुख्य वन संरक्षक के नाम से रेंजरों को धमकाया जाता रहा तथा उन पर नियम विरुध्द काम करने के लिए दबाव बनाया जाता रहा। इन रेंजरों की अगर मानें तो इस एनजीओ को आवंटित कोई भी काम धरातल पर नहीं किया गया है। रेंजरों की मदद से कागज पर सम्पूर्ण दिखाकर विभाग से भुगतान करा लिया गया है।

तब हुआ संदेह
एनजीओ पर संदेह उस वक्त हुआ जब इससे जुड़े हुए सदस्य लगातार भ्रमण करते रहे। देश-विदेश के विभिन्न स्थानों की यात्राएं कीं। चार महीने पहले एक महंगी कार खरीदी गई तथा रायपुर में महंगे मकान खरीदने की जानकारी दी गई। इतना ही नहीं एनजीओ सदस्य के बच्चे देश के महंगे स्कूल में पढऩे चले गए। जगदलपुर में भव्य और आलीशान कार्यालय तैयार कर लिया गया तथा मकान का नक्शा बदल दिया गया।

जांच के आदेश
हां, बस्तर के एक एनजीओ की शिकायत मिली है, जिसकी जांच शुरू कराई गई है। मुख्य वन संरक्षक, जगदलपुर तथा कांकेर से कहा गया है कि एक अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक के कार्यादेश तथा भुगतान का ब्योरा दिया जाए। एक अप्रैल के बाद के सभी कार्यादेश रद्द कर दिए जाएं तथा बीते एक साल में इस एनजीओ की तरफ से किए गए सभी प्रकार के कामों की जांच रिपोर्ट 22 अप्रैल तक प्रस्तुत की जाए। गड़बड़ी मिलने पर एनजीओ को ब्लैक लिस्टेड कर उसके खिलाफ अपराध पंजीबध्द कराया जाएगा।
राकेश चतुर्वेदी
प्रधान मुख्य वनसंरक्षक

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