सिहावा पर्वत में विष्णु महायज्ञ 14 जनवरी से, नि: संतान दम्पत्तियां होते हैं यज्ञ में शामिल

नगरी / सिहावा। महर्षि श्रृंगी ऋषि की तपोस्थली महेंद्र गिरी पर्वत, सिहावा में 14 जनवरी से तीन दिवसीय विष्णु महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इस यज्ञ में कई नि: संतान दम्पत्तियां संतान की प्राप्ति की कामना लेकर आहुति में भाग लेंगी। महायज्ञ का प्रारंभ 14 जनवरी, मंगलवार को दोपहर 3 बजे कलश यात्रा, देव स्वागत, मण्डप पूजन और संत स्वागत के साथ होगा।


Maharishi Shringi Rishi : दूसरे दिन, बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त में मकर स्नान, यज्ञ आहुति और महा आरती का आयोजन किया जाएगा। अन्तिम दिन, गुरुवार को पूर्णाहुति और संत बिदाई का कार्यक्रम आचार्य गोकरण मिश्र के सानिध्य में संपन्न होगा। श्रृंगी ऋषि विकास समिति के अध्यक्ष संजय सारथी ने बताया कि 2010 से प्रत्येक मकर संक्रांति के अवसर पर विष्णु महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सैकड़ों नि: संतान दम्पत्तियों को बाबा श्रृंगी ऋषि का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है और उन्हें संतान की प्राप्ति हुई है। महायज्ञ की तैयारियों में श्रृंगी ऋषि विकास समिति के संरक्षक अंजोर निषाद, ग्राम पटेल राजेश यदु, नारायण पटेल, अध्यक्ष संजय सारथी, उपाध्यक्ष मंशा राम गौर, रामकुमार साहू, केदार मार्कण्डेय, सचिव चंद्रकांत शांडिल्य, सह सचिव अरुण कश्यप, कोशाध्यक्ष दिनेश निषाद सहित ग्रामवासी जुटे हुए हैं।
श्रृंगी ऋषि ने करवाए थे पुत्र कामेष्ठी यज्ञ
Maharishi Shringi Rishi : महेंद्र गिरी पर्वत को सिहावा की पहाड़ी के रूप में जाना जाता है, जहां श्रृंगी ऋषि का आश्रम स्थित है। श्रृंगी ऋषि, विभाण्डक ऋषि के पुत्र और कश्यप ऋषि के पौत्र माने जाते हैं। उनका नाम हिरण के गर्भ में जन्म लेने और उनके सिर पर सींग होने के कारण पड़ा। उनका विवाह राजा दशरथ की पुत्री शांता से हुआ था। श्रृंगी ऋषि ने महेंद्र गिरी पर्वत पर पुत्र कामेष्ठी यज्ञ करवाया, जिसके परिणामस्वरूप राजा दशरथ को संतान की प्राप्ति हुई। उनके ही कमण्डल से महानदी का उद्गम हुआ।