राहुल गांधी दोमुंहे, संविधान हाथ में लेकर घूमते हैं और आरक्षण खत्म करने की बात करते हैं : पूर्व मंत्री किशोर

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रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने राहुल गांधी द्वारा अपनी हालिया अमेरिकी यात्रा के दौरान यह कहे जाने पर कि वह (राहुल/कांग्रेस) आरक्षण हटा देंगे पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि यह वही धुन है जो राहुल गांधी का परिवार नेहरू के जमाने से गाता आ रहा है। दो मुंहे, संविधान हाथ में लेकर घूमते हैं और आरक्षण खत्म करने की बात करते हैं।
श्री किशोर ने शनिवार को एकात्म परिसर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 57 वर्षों तक देश पर शासन किया, लेकिन इस दौरान उसने अपने राजनीतिक उद्देश्यों को साधने के लिए संवैधानिक प्रक्रियाओं का जमकर दुरुपयोग किया और सामाजिक उद्देश्यों की उपेक्षा की। कांग्रेस ने कभी भी संविधान के मूलभूत आरक्षण सिद्धांतों को सही भावना और रूप में लागू करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने 1956 में पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की काका कालेलकर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। नेहरू ने ही 1961 में मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा, आरक्षण से अक्षमता और दोयम दर्जे का मानक पैदा होता है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर संविधान की आत्मा को कुचला था। इंदिरा गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालकर ओबीसी आरक्षण में देरी की। 1966 से 1977 तक, संविधान में 25 बार संशोधन हुए। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 3 मार्च 1985 को एससी आरक्षण पर टिप्पणी करते हुए यह कहा था, आरक्षण के माध्यम से हमें बुद्धुओं को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। राजीव गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट का विरोध किया और 1990 में लोकसभा में आरक्षण का पुरजोर विरोध किया और मुसलमानों को आरक्षण देने की वकालत की, जो बाबासाहेब के मूल संविधान के खिलाफ था। श्री किशोर ने कहा श्री मोदी के कार्यकाल में संविधान में केवल आठ बार संशोधन हुआ और वह भी यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया था।

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