वन अधिकारी, कर्मचारियों की निष्क्रियता की वजह से अनेक जंगली जानवर विलुप्त होने की कगार
घरघोड़ा (गौरी शंकर गुप्ता)। रायगढ़ जिला क्षेत्र के जंगल से दिन-दिन घर रही जंगली जानवरों की संख्या से जहां एक ओर पर्यावरण मे खतरे की बादल मंडराने लगा ह्रै तो वहीं दूसरी ओर मानव जीवन के रहन सहन गड़बड़ाने के संकेत मिल रहे है इसके बाद भी वन विभाग जंगली जानवरों की सुरक्षा को तवज्जों नही करता दिखाई दे रहा है जिसका अंदाजा उन दस्तावेजों को देखकर लगाया जा सकता है। जो अब गर्दे खा रही है इन आंकड़ो को 10वर्ष पूर्व गणना करने बाद एकत्रित किया गया था। वहीं वन विभाग सेटेलाईट के माध्यम वनों का हवाई सर्वे कर जानवरों के गणना की बात कह रहा है मौजूदा हालात मे जिला वन मंडल और गोमार्डा अभ्यारण की कुल भूमि 1529.596 वर्ग किलो मीटर है, मे जानवरों की संख्या जानने के लिए वन विभाग ने कर्मचारियों के जरिए फुट ट्रेस (पैरों के निषान) के जरिए जानवरों की संख्या की गिनती कराई थी करीब वर्शोे पूर्व किये गये गणना के आंकड़ो पर नजर डाले तो जंगली मे है।जानवर है बीते वर्शों मे जानवरों की तादाद बढी या घटी इसकी समुचित जानकारी वन विभाग के पास मौजूद नही है विभाग से छनकर आ रही खबरों के अनुसार पहले जंगलो मे जानवरों की गणना करने के लिए वन विभाग के कर्मचारियों के जिम्मे सौंपी जाती थी जो परंपरागत तरीके से जानवरों के फूट ट्रेस (पद चिन्ह) को पहचान कर गणना करने थे। लेकिन अब आधुनिकता की बढ़ते दौर मे पंरपरागत पद्धति को भुलाकर वन विभाग हाईटेक वाला विभाग हो गया है और सेटेलाईट के माध्यम से जंगलो मे हवाई सर्वेक्षण करवाया जाता है तथा गणना संबंधी जानवरों की समस्त जानकारी सालों से देहरादून षहर से किया जा रहा है। जानवरों की सही संख्या देहरादून से नही प्राप्त होने के कारण विभाग के आला अफसरों को सालों से जानवरों की संख्या के बारे मे कोई मालूमात नही है। लिहाजा ऐसे हालात मे जानवरों के सुरक्षा का सवाल असमंजस के दायरे मे है वहीं पूर्व के उपलब्ध जंगली जानवरों के आंकड़ो के मुताबिक रायगढ़ जिला वन मंडल के जंगलों मे जंगली हाथी 10, भेड़िया 170, मोर 300, जंगली सूअर, 3678, काला हिरण 5, भालू 788, नीलगाय 29, कोटरी 1043, सांभर 23, चीतल 312, जंगलो मे है पूर्व गणना के अनुसार वहीं जंगलो मे है पूर्व गणना के अनुसार वहीं जंगलो से खरगोष, जंगली बिल्ली, चीतल, तेन्दुआ, षेर का नामों निषान भी नही दिखाई दे रहा है वन विभाग के अनुसार जानवरों की संख्या की गणना मे कई जानवरों के प्रजाति का उल्लेख ही न होना यह बात को दर्षाता है कि उस प्रजाति के जानवर विलुप्त हो गये हैं और बाकि बचे कगार पर है।