शासकीय भूमि पर बेजा कब्जा, कलेक्टर के निर्देश के डेढ़ वर्ष बाद भी नहीं हटा ?

घरघोड़ा (गौरी शंकर गुप्ता)। आम लोगों के आवागमन के लिए घरघोड़ा व्यवहार न्यायालय के ठीक पीछे शासकीय भूमि पर कद्दावर व्यक्तियों द्वारा आम रास्ता को किए कब्जे को लेकर कलेक्टर चौपाल रायगढ़ में अक्टूबर 2023 में पीड़ितों द्वारा आवेदन दिया गया। जिसपर श्रीमान कलेक्टर रायगढ़ द्वारा आवेदन की जांच कर सत्यता के पुष्टि के पश्चात शासकीय भूमि पर कब्जा को तत्काल हटाने की कार्यवाही के लिए तहसीलदार घरघोड़ा को निर्देशित किया। तहसीलदार घरघोड़ा ने 8 नवंबर 2023 को ही इसपर एक पटवारी आरआई का एक जांच टीम गठित कर शीघ्र सत्यता से अवगत कराने हेतु कहा। जिसपर आरआई एवं पटवारी के टीम ने मौका पर जाकर आवेदक गण, कब्जाधारियों की उपस्थिति में शासकीय भूमि खसरा नंबर 521,532,502 का नाप किया जिसमें नगर के सात कद्दावर लोगों द्वारा शासकीय भूमि पर कब्जा करना पाया गया। आरआई घरघोड़ा ने नाप कर पंचनामा तैयार कर शासकीय भूमि पर कब्जा किए लोगों के नाम सहित तहसीलदार घरघोड़ा को 14 नवंबर 2023 को ही प्रतिवेदन बनाकर जमा कर दिया गया। तहसीलदार घरघोड़ा ने भी जांच रिपोर्ट से माना कि शासकीय भूमि पर कब्जा किया गया है, किन्तु जांच रिपोर्ट के डेढ़ वर्ष बाद भी आमजन मानस के द्वारा रास्ता के रूप में उपयोग किए जा रहे शासकीय भूमि को कब्जा धारियों से मुक्त कराने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। आवेदकगण जब तहसीलदार से मुलाकात करते है तो रटे रटाय एक जवाब दिया जाता है कि हम कब्जा हटाने को नगर पंचायत के सीएमओ को आदेशित कर दिए है। यहां प्रश्न यह उठता है कि क्या शासकीय भूमि पर किए अवैध बेजा कब्जा को हटाने का अधिकार राजस्व अधिकारी का है या नगर पंचायत अधिकारी है। यदि सीएमओ को अधिकार है, और तहसीलदार द्वारा निर्देशित किया जा चुका है, तो डेढ़ वर्ष बाद कब्जा हटाया क्यों नहीं गया। और यदि सीएमओ का कार्य क्षेत्र में नहीं आता है, तो तहसीलदार घरघोड़ा ने निर्देशित क्यों किया। एक तरफ शासन वर्तमान में आम लोगों के लंबित कार्यों का शीघ्र निराकरण के लिए सुशासन तिहार के तहत शिविर लगाकर निराकरण किया जा रहा है, तो वही श्रीमान कलेक्टर के आदेश के पश्चात ,कब्जा की पुष्टि होने के बाद भी तहसीलदार घरघोड़ा के निर्देश के बाद कब्जा को मुक्त नहीं करा पाना, कई संदेहों को जन्म देता है।
