छात्र राजनीति से समाज सेवा तक – NSUI के पुनेश्वर लहरे बन रहे युवा नेतृत्व की सशक्त पहचान

सारंगढ। कठिनाइयाँ जब रास्ते रोकती हैं, तब कुछ लोग उन्हें चुनौती बनाकर पार करते हैं, वैसी ही संसाधनों की सीमाओं को संकल्प की शक्ति से पार करते हुए, एक सामान्य कृषक परिवार सारंगढ़ के एक छोटे से गांव पासीद से निकलकर प्रदेश की राजधानी रायपुर से लेकर दिल्ली तक छात्रों की आवाज़, साहित्यिक चेतना के संवाहक और जन सेवा के प्रतीक बन चुके पुनेश्वर लहरे आज छत्तीसगढ़ की छात्र राजनीति का चमकता हुआ सितारा हैं।
वर्तमान में वे NSUI सोशल मीडिया के प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं तथा छात्रहितों के लिए निरंतर संघर्षरत हैं। शून्य से शिखर की यात्रा पुनेश्वर लहरे की यात्रा साधारण से असाधारण की कहानी है। एक कृषक परिवार में जन्मे इस युवा नेता ने न केवल शैक्षणिक रूप से उत्कृष्टता प्राप्त की, बल्कि नेतृत्व क्षमता, जन सरोकारों के प्रति संवेदनशीलता और युवाओं के लिए समर्पण के दम पर छात्र राजनीति में अपनी गहरी पहचान और पकड़ बनाई है। पुनेश्वर लहरे वर्तमान में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के विधि अध्ययनशाला के विद्यार्थी हैं। विश्वविद्यालय के UTD कैंपस में वे छात्र हितों से जुड़ी समस्याओं को प्रशासन के समक्ष मजबूती से उठाते हैं, चाहे वह विश्वविद्यालय हो या महाविद्यालयों में छात्रों के मुद्दों लेकर लगातार सक्रिय रहते हैं। परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता हो, हॉस्टल व पुस्तकालय की सुविधाएं हों, या फिर फीस बढ़ोतरी का विरोध। उनकी सक्रियता ने छात्रों में विश्वास और प्रशासन में जवाबदेही को मजबूती दी है। उन्होंने कई बार प्रशासन को ज्ञापन सौंपा, धरने प्रदर्शन किए और सकारात्मक समाधान दिलाने में सफलता भी प्राप्त की। साहित्य रचना के माध्यम से युवाओं में सामाजिक चेतना का संचारएक संवेदनशील कवि और लेखक के रूप में लहरे युवाओं में समाज के प्रति जागरूकता, राष्ट्र प्रेम और सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं। वे कई मंचों पर कविता साहित्य और विचार विमर्श के ज़रिए युवाओं को प्रेरित करते हैं।जन सेवा में सबसे आगे -बेड से लेकर ब्लड , जरूरतमंद की मदद तक सबसे आगेपुनेश्वर लहरे की सबसे बड़ी पहचान उनकी मानव सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना है।


वे अक्सर गंभीर रोगियों के लिए अस्पतालों में बेड दिलवाने में मदद करते नजर आते हैं। अनेक बार उन्होंने जरूरतमंदों को ब्लड बैंक से रक्त दिलवाने या स्वयं रक्तदान करने का उदाहरण प्रस्तुत किया है। भर दवाइयां और भोजन पहुँचाने जैसे अनेक कार्यों में सबसे आगे रहते हैं। कोविड संकट में भी अन्य राज्यों में फंसे लोगों के मदद के समय उनका योगदान समाज के लिए अत्यंत सराहनीय रहा है।पुनेश्वर लहरे का कहना है। मैं छात्र राजनीति को सिर्फ पद या प्रदर्शन का माध्यम नहीं मानता, बल्कि यह एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जहाँ से हम छात्रों की आवाज़ को सही जगह तक पहुँचा सकते हैं। मेरे लिए हर छात्र की समस्या मेरी अपनी समस्या है।
समाज सेवा, साहित्य और संघर्ष – ये तीनों मेरे जीवन के मूल मंत्र हैं। जब कोई विद्यार्थी अपनी परेशानी मुझसे साझा करता है या कोई ज़रूरतमंद मेरी मदद से राहत महसूस करता है, तो वही मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार होता है।”अब आगे क्या?– सक्रिय राजनीति में उतरने के संकेतअब यह देखना रोचक होगा कि आने वाले समय में पुनेश्वर लहरे किस क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरते हैं और जनता की सेवा के लिए किस मंच को चुनते हैं। छात्र राजनीति में संघर्ष और समाज सेवा में निरंतर सक्रियता यह संकेत देती है कि वे भविष्य में भी जन समस्याओं को प्राथमिकता देंगे और एक उत्तरदायी जन प्रतिनिधि के रूप में जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे।