जल संकंट गहराने के आसार, रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम की अनिवार्यता पर जिम्मेदार अधिकारियों ने नहीं दिया ध्यान

घरघोड़ा(गौरी शंकर गुप्ता)। जैसे-जैसे गर्मी का मौसम बढती जा रही वैसे-वैसे जल संकंट गहराने के आसार नजर आ रहे हैं। पूर्व मे षासकीय व गैर षासकीय भवन निर्माण मे वाॅटर हार्वेस्ंिटग निर्माण की भी अनिवार्यता पर षासन, प्रषासन स्तर पर विषेश फरमान जारी किया गया था। लेकिन वाॅटर हार्वेस्टिंग को लेकर सिस्टम ने कुछ षासकीय भवनों मे इसका निर्माण कराकर अपनी पीठ थपथपाने रहने मे ही भूल गये लिहाजा आबादी बढने और भू-जल का लगातार दोहन होने और इसके रिचार्ज नही होने से क्षेत्र मे भू-जल स्तर तेजी से नीचे जाने की आषंका होती है जिसके फलस्वरूप गर्मी बढने के साथ पेयजल का संकंट मंडराने लगा है। अधिकांष इंसानी बसाहट ईलाके मे इन दिनों पानी के लिये आपाधापी की नौबत आने लगी है। नगर पंचायत के कई प्रतिनिधियों के द्वारा वाटर टैंकर से पानी की कमी वाले वार्ड मे षुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की तैयारी कर ली गई है जबकि अभी गर्मी की षुरूवात मात्र है और तापमान भी 40 डिग्री बताई जा रही है।


अप्रेैल माह के दूसरे पखवाडे से लेकर जून के दूसरे पखवाड़े तक सूर्यदेव के तेवर भीशण हो जाती है। गर्मी की षुरूआत मे ही पेयजल को लेकर सभी चितिंत रहते है लेकिन नगर पंचायत अधिकारी इस दिषा मे गंभीर नजर नही आ रहे हैं। नगर और आसपास जिस तेजी से निर्माण हुआ है या हो रहा है। उनमे वाॅटर हार्वेस्टिंग निर्माण को अधिकारियों द्वारा अनिवार्य किया जाता है तो भू-जल मे कमी नही आती और समय के साथ इस अनिवार्यता की बाध्यता ही समाप्त होती आई रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नही होने के कारण बारिष का कीमती पानी नालियों, नालों से होता हुआ व्यर्थ मे बह जाता है और जमीन के तह तक नही पहुंच पाता। इस का असर ही भू-जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। जिसकी वजह से तालाब, कुंए, हैंडपंप और बोर सूखने के कगार पर है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की आवष्यकता के प्रति जिम्मेदार अधिकारियों ने ध्यान नही दिया जिसके चलते नगर व सीमा मे हुए सैंकड़ो निर्माण कार्यों मे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नही लगाया गया और बरसात का कीमती पानी व्यर्थ हो गया वहीं नगर के भीतर विभिन्न मद से कई बोर खोदवाया गया था कि धरती का सीना भी छलनी हो गया होगा, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कुछ तथा कथित नेता किस्म के लोग अपनी निजी उपयोग के लिए अपने कब्जे मे कर भरपूर दोहन किया जा रहा है। कब्जे मे किये गए बोर का चिन्हित कर सार्वजनिक पाईप लाईनों से जोड़ दिया जाये तो क्षेत्र मे पेयजल की कमी महसूस नही किये जाने की संभावना है।