सामाजिक समरसता के प्रतीक थे बाबा साहब अंबेडकर : गनपत चौहान

आपचारिकता छोड़कर उनके बताये मार्ग पर चलें लोग
घरघोड़ा (गौरी शंकर गुप्ता)। प्रख्यात मजदूर नेता गनपत चौहान ने आज बाबा भीमराव अम्बेडकर जी की 134वीं जयंती के शुभ अवसर पर आयोजित समारोह में उन्होंने अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करते हुए कहा कि बाबा साहेब को सिर्फ दलितों का मसीहा कहना उनके कद को छोटा करना है वे स्वप्नदृष्टा थे समृद्ध राष्ट्र सामाजिक समरसता, मजदूर, महिला, उपेक्षित वर्ग के उत्थान के प्रति संकल्पित उनका जीवन प्रेरणास्रोत था |
उनकी जयंती सिर्फ सार्वजनिक अवकाश के लिए या जगह जगह मूर्ति स्थापित करने की औपचारिकता तक सीमित ना होकर डा भीमराव अम्बेडकर जी ने जो 22 प्रतिज्ञा या संकल्प उनके द्वारा लिया गया था उसे आत्मसात करना चाहिए तभी हम सौ फीसद डा.अंबेडकर के अनुयाई या मानने वाले हो सकते हैं और साथ ही साथ देश की भावी पीढ़ी की शिक्षा कौशल विकास सामाजिक समरसता के लिए समर्पित होनी चाहिए|
कोयलांचल क्षेत्र के मजदूर नेता गनपत चौहान ने कहा कि आज देश में कितने लोगों को पता है कि देश में श्रमिक हितों के संरक्षण के लिए व श्रम कल्याण से संबंधित आज जितने भी कानून है अधिकांशतया डा.भीमराव अंबेडकर की बदौलत है डा.अंबेडकर ही थे जिन्होंने भारत में 14 घंटे से हटाकर 8 घंटे के कार्य दिवस की शुरुआत की थी और यह कार्य उन्होंने दिल्ली में भारतीय श्रम सम्मेलन के 7वें सत्र में 27 नवंबर 1942 को किया था भारत में श्रम विभाग की स्थापना 1937 में हुई और 1942 में डा.भीमराव अंबेडकर ने श्रम मंत्रालय का कार्यभार संभाला|
उन्होंने यह भी बतलाया कि वायसराय की परिषद् के श्रम सदस्य के तौर पर डा.अंबेडकर ने श्रमिकों की उत्पादकता बढ़ाने उनकी शिक्षा और कार्य में बेहतर प्रदर्शन तथा अनावश्यक कौशल उपलब्ध कराने उनके स्वास्थ्य की देखभाल करने एवं महिला श्रमिकों को मातृत्व प्रावधान उपलब्ध कराने देश में रोजगार कार्यालयों की स्थापना कर्मचारी राज्य बीमा के गठन का श्रेय भी डा.अंबेडकर को ही जाता है|
पूर्वी एशियाई देशों में “बीमा अधिनियम” लाने वाला भारत सबसे पहला राष्ट्र था जिसके तहत श्रमिकों की चिकित्सा देखभाल चिकित्सा अवकाश काम के दौरान मृत्यु या घायल होने पर कामगारों की क्षतिपूर्ति महिला श्रमिक कल्याण कोष, महिला एवं बालश्रम संरक्षण अधिनियम,कोयला खदानों व भूमिगत काम पर महिलाओं के रोजगार पर प्रतिबंध, भारतीय फैक्टरी अधिनियम मंहगाई भत्ता अवकाश लाभ एवं वेतन का पुननिरीक्षण जैसे कई श्रम कानूनों का निर्माण किया जो अंबेडकर जी की देन है|
उस दौरान कोयला उद्योग हमारे देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग था, उन्होंने 13 जनवरी 1944 को कोयला खान सुरक्षा संसोधन विधेयक तथा 8 अप्रैल 1946 अभ्रक खान श्रमिक कल्याण कोष का गठन किया जो श्रमिकों के लिए आवास जलापूर्ति शिक्षा मनोरंजन और सहकारी संस्थाओं के गठन के लिए मदद करता था !
त्रिपक्षीय पद्धति की शुरुआत भी उन्होंने ही की थी जो आज भी कारगर है 1944 में श्रम कल्याण कोष की स्थापना हुई गनपत चौहान ने यह भी कहा कि आज भारत में श्रमिकों के पास जितने भी हित संरक्षण के लिए कुछ अधिकार है तो वह सबकुछ डा.भीमराव अंबेडकर की मेहनत और श्रमिक वर्ग के प्रति उनके समर्पण की वजह से ही है !
पंचों में प्रमुख रूप से रजनी राठिया, राजकुमारी राठिया,गीता राठिया, अहिल्या चौहान के अतिरिक्त नीनी चौहान, विमला चौहान, यशोदा चौहान, गंगाराम राठिया , सालिक राम, हंसराज मांझी, कीर्तिराम राठिया,प्यारेलाल राठिया, नोहर चौहान , सुखदेव चौहान , हुकमी राठिया,भक्तिराम राठिया ग्राम पटेल बंशीराम राठिया सहित पतरापाली ग्राम के शताधिक लोगों की उपस्थिति रही !
बाबा साहब के व्यक्तित्व पर शिक्षक मोहन ने घंटेभर दिया ब्याख्यान
समीपस्थ ग्राम फगुरम के ख्याति प्राप्त शिक्षकगणों में प्रमुख रूप से मोहन चौहान गुरूजी ने बाबा साहेब के जीवनी को अनवरत एक घंटे तक विस्तार से उपस्थित लोगों को बतलाया,शिक्षक नारायण प्रसाद राठिया ने 22 प्रतिज्ञा के बारे में एक एक कर विस्तार से बतलाते हुए डा.अम्बेडकर के बताए हुए रास्ते पर चलने का आह्वान किया,शिक्षक नकुल प्रसाद निषाद और प्रबंधक देवेन्द्र सिंह राठिया ने भी सारगर्भित विचार रखा कार्यक्रम का संचालन पूर्व सरपंच आमालाल राठिया और आभार व्यक्त पूर्व सरपंच रामकुमार राठिया ने किया!
