शदाणी दरबार में वर्सी महोत्सव में हुआ भव्य संत और शिक्षाविद समागम

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रायपुर । संत राजाराम साहब के 64वां वर्सी महोत्सव के दिवस का भव्य शुभारंभ संतों तथा भक्तों द्वारा सम्मिलित रूप से आशा दीवार के साथ प्रारंभ हुआ। विशेष आकर्षण वृंदावन से आए बालभक्त भागवत ने अपनी प्यारी बाल सुलभ वाणी में राधा कृष्ण के मंत्रों से सबको मंत्र मुग्ध कर दिया तथा भगवत गीता पर अपना संक्षिप्त उद्बोधन दिया। उनको देखने के लिए और सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।


इस अवसर पर मध्यान्ह में अखिल भारतीय शदाणी सेवा मंडल की बैठक आरंभ हुई। बैठक में भारतवर्ष के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने अपने-अपने सेवा मंडलों की सेवा कार्यों का वर्णन किया तथा भविष्य में वे किस प्रकार की सेवा कार्य और आगे बढऩा चाहते हैं ,उस पर अपने विचार रखें। सभी सेवा मंडलों को संत डॉ. युधिष्ठिर लाल ने अपने आशीर्वचन में कहा कि सेवा ही परम धर्म है और हमारे शदाणी दरबार का यही मूल मंत्र भी है, कि मानव सेवा ही माधव सेवा है। सेवा कार्यों को सभी सेवा मंडलों को मानव मात्र के कल्याण के लिए बढ़ाना चाहिए तथा बच्चों को अध्यात्म से जोडऩे का प्रयास करें, जिससे उनमें अच्छे संस्कारों का सिंचन हो सके।
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ज्योतिषाचार्य जीडी वशिष्ठ ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में बताया कि सतगुरु की प्रसन्नता से ग्रहों की प्रसन्नता होती है। अपने से बड़ों को अपने माता-पिता को प्रसन्न करने से चंद्रमा की प्रसन्नता प्राप्त होती है। यदि मंगल विपरीत हो तो वह व्यक्ति अपना ही अनिष्ट करता है तथा सभी से कलह करता है लेकिन यदि वह गुरु के आश्रम में या मंदिर में सेवा करता है तो उसका मंगल मजबूत हो जाता है।

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