बस्तर सीसीएफ ने ‘आका’ के दरबानों को सौंप दिया जांच का जिम्मा, ‘प्रबल’ के आगे नतमस्तक दिखे बस्तर के जंगल अधिकारी,पीसीसीएफ के जांच आदेश पर लीपापोती की कोशिश,अरण्य भवन को दिग्भ्रमित करने की तैयारी

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रायपुर। अरण्य भवन में पदस्थ भारतीय वन सेवा के एक अफसर के संरक्षण में कागजों पर काम करके करोड़ों रुपए का आहरण करके विवादों में आई बस्तर की एक स्वयंसेवी संस्था प्रबल आधार सेवा संस्थान को बचाने के लिए बस्तर के जंगल अफसर पूरी ताकत झोंकते हुए दिख रहे हैं। जांच के आदेश प्रदेश के प्रधान मुख्य संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने दिए हैं लेकिन इसकी गंभीरता को समझे बिना बस्तर के मुख्य वनसंरक्षक ने ऐसे अफसरों को जांच का जिम्मा दे दिया है, जो इस एनजीओ के सरपरस्त भारतीय वन सेवा के अधिकारी के दरबान रहे हैं। ऐसे में जांच रिपोर्ट किस तरह प्रस्तुत की जाएगी, इसको बताने की जरूरत नहीं है। अपने आका को बचाने के चक्कर में बस्तर के जंगल अधिकारी उस संस्था को बचाने की तैयारी कर रहे हैं, जिसके आदिवासियों के हक पर डाका डाला है और सरकारी खजाने से बड़ी रकम हथिया ली है।

बीते एक साल में दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले में प्रशिक्षण व जागरूकता के अलावा जैव विविधता, पीबीआर तथा बीएमसी का काम हासिल करने वाली स्वयंसेवी संस्था प्रबल आधार सेवा संस्थान को कुछ महीने के अंतराल में ही डेढ़ करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया। दंतेवाड़ा के एक वन अफसर ने बताया कि संस्थान के संचालकों से बार-बार कहा गया कि इतनी जल्दी भुगतान कराना उचित नहीं होगा लेकिन उन्होंने अरण्य भवन में पदस्थ भारतीय वन सेवा के अफसर से दबाव डलवाकर भुगतान करा लिया।
प्रबल आधार सेवा संस्थान की गड़बडिय़ों की शिकायत जैसे ही प्रधान मुख्य संरक्षक राकेश चतुर्वेदी तक पहुंची, उन्होंने इस संस्था के कार्यादेशों के साथ भुगतान पर रोक लगा दी तथा बस्तर के मुख्य वन संरक्षक को जांच कर 22 अप्रैल तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

दरबानों को जिम्मा
बस्तर के मुख्य वनसंरक्षक शाहिद खान ने बताया कि जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बना दी गई है। उन्होंने जांच दल का नाम तो नहीं बताया परंतु यह पता चला है कि जांच दल में अनुविभागीय अधिकारी स्तर के उन तीन अफसरों को रखा गया है, जो अरण्य भवन में पदस्थ भारतीय वन सेवा के अधिकारी के दरबारी रहे हैं। कहा जा रहा है कि उस आला अफसर की सलाह पर ही बस्तर के मुख्य वनसंरक्षक ने जांच समिति बनाई और इन अफसरों को रखा। यहां पर बस्तर के मुख्य वनसंरक्षक की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि वे अपने विभाग के आला अफसर को बचाने के चक्कर में उन स्वयंसेवी संस्था को बचाने की कोशिश में लग गए हैं, जिसने सरकारी खजाने से काम किए बिना करोड़ों रुपए का आहरण कर लिया है।

रायपुर तक दौड़
खबर है कि गड़बड़ी का खुलासा होते ही संस्था के संचालक लॉक डाउन में ही रायपुर तक दौड़ पड़े। ऐसा करते हुए उन्होंने अपने निजी वाहन में कोरोना के बचाव से सम्बंधित बैनर लगा लिए ताकि रास्ते में कोई व्यवधान न हो पाए। रायपुर पहुंचकर संस्था के सदस्यों ने किससे मुलाकात की तथा किस तरह से मामले को पिटाने की कोशिश की, इसकी जानकारी तो नहीं मिली है अलबत्ता इस गड़बड़ी को लेकर अरण्य भवन में गरमाहट देखने को मिल रही है क्योंकि पृष्ठभूमि पर एक आईएफएस अधिकारी के नाम चल रहा है।

ईओडब्ल्यू व आयकर में भी दस्तक
खबर है कि प्रबल आधार सेवा संस्थान के द्वारा की गई आर्थिक गड़बड़ी की शिकायत राज्य अपराध अन्वेषण ब्यूरो के साथ आयकर विभाग में भी की जा रही है। काम किए बिना राजकीय खजाने से बड़ी रकम का आहरण करना आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है, लिहाजा इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू से भी कराने की कोशिश की जा रही है। दूसरी ओर राज्य सरकार से बड़ी रकम लेने के बाद संस्थान ने इसके अनुपात में आयकर की अदायगी की है अथवा नहीं, इसकी भी जांच कराई जा रही है।

बेहद गंभीर है मामला
निश्चित रूप से यह मामला बेहद गंभीर है। इसकी पूरी संजीदगी के साथ जांच कराई जा रही है। जांच में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है तथा तथ्यों को एकत्र किया जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। अगर जांच में किसी भी प्रकार की लीपापोती की कोशिश की गई, तो जांच करने वालों के अलावा जिम्मेदार अफसरों पर भी कार्रवाई सुनिश्चित है।

राकेश चतुर्वेदी
प्रधान मुख्य वनसंरक्षक

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