देवनगरी भोंगापाल जंगल बीच में छठी शताब्दी की बुद्ध प्रतिमा व शिवलिंग है स्थापित

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कांकेर (केसकाल)। जिला कोंडागांव की ब्लॉक फरसगांव की पहाड़ी वा पहुंच विहीन वनों से चारो तरफ़ घने जंगल की देव नगरी भोंगापाल से मात्र 02 किलोमीटर दूरी पर इधर उधर बिखरे पड़े विशाल बुद्ध प्रतिमा व कुछ दूरी पर जंगल में दो स्थानों में विराट शिवलिंग की जानकारी लेने केसकाल से करीब 60 किलो दूरी पर स्थित है। पत्रकार ने देवनगरी भोंगापाल पहुंचकर ग्रामवासियों से जानकारी लेने पर मीडिया को जानकारी देते बताया है कि जहा दुर्लभ प्रतिमा स्थान को सुरक्षित बाउंड्रीवाल बनाकर सुरक्षित रखने का मांग किए है। जहा दुर्लभ बुद्ध प्रतिमा को क्षेत्र वासियों द्वारा ढोकरा बाबा के नाम से पूजते वा मानते है,देवनगरी भोंगापाल की छठी शताबदी ईस्वी की पुराने ईट की टीलो को सन 1990 व 91 में छत्तीसगढ पर्यटक विभाग द्वारा पुराने ईट की ठिला को उत्खनन करने पर विशाल बुद्ध प्रतिमा वा शिवलिंग का कई अनावृत हुए है। चौत्य गृह प्रकाश में आए अनुमान है की यह चौत्य गृह वा स्मारक पुरातत्य दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ शासन की संस्कृति एवम पुरातत्व विभाग द्वारा सुरक्षित रखने के लिए स्मारकों के चारों तरफ बाउंड्री वॉल बनाने की मांग बुद्ध देव संरक्षण समिति अध्यक्ष फुलसिंग नाग वा सचिव दिनेश शोरी वा चौकीदार भानसिंह नाग ने किया है।

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