रोडरेज कानून में संशोधन का तीन दिनों तक परिवहन सेवा पर पड़ेगा असर

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कांकेर। केंद्र सरकार ने रोडरेज कानून में संशोधन किया है। नई व्यवस्था के तहत कोई भी व्यक्ति वाहन चलाने के दौरान दुर्घटना करके भाग खड़ा होता है, तो उसे कड़े कारावास के साथ ही भारी भरकम जुर्माना भी अदा करना पड़ेगा। इसे लेकर वाहन चालक आक्रोशित हो उठे हैं और हड़ताल पर चले गए हैं। तीन दिनों तक चलने वाली इस हड़ताल का व्यापक असर पड़ेगा।
लोकसभा में बिल पास होते ही वाहन चालकों में नाराजगी फैल गई है। अखिल भारतीय वाहन चालक संघ की तीन दिवसीय हड़ताल का पहले दिन से ही व्यापक असर दिख रहा है। बस्तर संभाग में परिवहन व्यवसाय के ठप होने के कारण केंद्र सरकार व एनएमडीसी को भी करोड़ों रुपए की क्षति होने का अनुमान है वहीं रेलवे को भी आर्थिक क्षति होगी। स्थानीय वाहन चालक संघ के नेता संजय लकड़ा ने बताया कि केंद्र सरकार ने नया कानून लागू किया है और भादवि की धारा 304 में क्लाज 304 (ए) जोड़ा गया है। यह वाहन चालकों के लिए काला कानून हैं। नए नियम के तहत दुर्घटना की स्थिति में वाहन चालकों के लिए 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है जोकि सरासर ग़लत है। वहीं दूसरी ट्रक वाहन चालकों के एक संगठन के आव्हान पर बस्तर में सैकड़ों ट्रकों के पहिए थम गए हैं। आंदोलनरत वाहन चालक अनिमेष भार्गव ने बताया कि केंद्र सरकार सभी वर्गों का दमन कर रही है। इससे वाहन चालकों में खौफ है।
नेशनल हाइवे पे चलने वाली जगदलपुर से रायपुर की बसों के पहिये अभी भी नही थमी है, वे बसे अभी भी चल रही है, इस कानून में जबकि सभी वाहन चालकों के लिए काफी जटिल कानून लाया गया है।
धारा 304 (ए) में प्रावधान
स्थानीय अधिवक्ता पीलूराम बघेल ने बताया कि धारा 304 (ए) नया संशोधित कानून है। यह धारा 304 का स्थान लेगा। पूर्व में धारा 304 के तहत् दुर्घटनाकारित होने पर साधारण सजा के तौर म लान होता था, लेकिन धारा 304 (ए) में सात वर्ष की सजा और दस लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। यह बड़ी सजा है। इससे ट्रक, बस ड्राइवरों की जिंदगी तबाह हो सकती है।

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