घरघोड़ा क्षेत्र में बाहरी तत्वों की घुसपैठ शहर में बढ़ती जा रही है कई घटनाओं में इनका हाथ होने की आशंका

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घरघोड़ा (गौरी शंकर गुप्ता)।  नगर व अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य जिला राज्य के घुसपैठ एवं हस्तक्षेप के कारण वर्षों पूर्व निवास रथ जरूरतमंद नागरिकों की पूरी तरह उपेक्षा हो रही है जानकारी मिली है कि रायगढ़ जिले चर्चित आदिवासी बाहुल्य तहसील जनपद और विधानसभा क्षेत्र में झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा एवं बंगाल प्रांतों और जिले के बहुत से लोग यहां बहुत कम समय में आकर जम गए हैं। क्षेत्र में तमाम छोटे-बड़े कल कारखानों और आसपास छोटे-मोटे व्यवसाय के नाम से बाहरी लोग अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं तथा बहुत से संदिग्ध व्यक्ति भी अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में अपना व्यवसाय चला कर क्षेत्र में धाक जमा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि घरघोड़ा क्षेत्र में भोले भाले आदिवासी परिवारों की संख्या अधिक है। और मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जिनका षड्यंत्रकारी एवं संदिग्ध लोगों के कुचक्र से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है। लेकिन सीधे-साधे ग्रामीण और क्षेत्र के शांतिप्रिय वातावरण में दखल देकर बाहरी चालाक लोग अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। क्षेत्र में दर्जनों उद्योग स्थापित हो चुके हैं और हो रहे हैं। उद्योगों के लिए ग्रामीण जनता की और राजस्व वन भूमि पर उद्योगों और माफिया (क्षेत्रीय दलाल) अपना जेब भर रहे हैं। यहां तक की वन संपदा बाहुल्य पेड़ पौधे तथा खनिज संपदा की कालाबाजारी से राजस्व की क्षति हो रही है और पर्यावरण संतुलन तहस-नहस हो रही है लेकिन यह तबाही प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की नज़रों से काफी दूर है। नगर व आसपास के गांव में जिस तरह दिगर प्रांतों के लोग यहां लगातार बढ़ रहे हैं, उद्योगों की तरह इन की घुसपैठ भी बढ़ रही है तथा बाहरी तत्वों की संदिग्ध होने के बावजूद भी किसी तरह छानबीन जांच पड़ताल के अभाव भी अपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है। मालूम हो कि अन्य प्रांत के व्यक्तियों की नजर अथवा गांव क्षेत्र में कम से कम कुछ समय तक निवास रहने के बाद ही आसानी से क्षेत्र की नागरिकता दी जा रही है। और राजस्व थाना नगर पंचायत के जनप्रतिनिधि अफसर संदिग्ध व्यक्तियों के यहां आसानी से नागरिकता होने में मददगार बन रहे हैं। चूंकि किसी दिगर प्रांत से आकर नए स्थान पर निवास करने वाले को 6 माह बाद 6 वर्ष तक एक ही जगह पर निवासरत होने और पूर्व निवास स्थान से नागरिकता समाप्ति के पश्चात आचरण प्रमाण पत्र के आधार पर नए स्थान की निवासी मानकर तहसीलदार और नगर पंचायत अधिकारी निवास प्रमाण पत्र देकर नागरिकता प्रदान करते हैं लेकिन क्षेत्र में बाहरी व्यक्तियों के कुछ माह रहने के बाद यहां के मूल निवासी की प्रमाणपत्र दी जा रही है। मजे की बात यह है कि जब कभी इन अन्य प्रांत के व्यक्तियों के शहर नगर गांव में जब आम चुनाव होती है। उस समय यही लोग अपने मूल निवास स्थान में जाकर मतदान कर रहे हैं। इस कारण यह निर्विवाद है कि दिगर प्रांत के लोग यहां (औद्योगिक क्षेत्र में) मतदाता सूची में शामिल है इसके लिए आज तक क्षेत्रीय थाना तहसील में ठोस प्रमाण नहीं मिल रही है। बताया जाता है कि नगर व गांव क्षेत्र में जो उद्योग लगे हैं या लग रहे हैं उसमें 75% से भी अधिक मजदूर ठेकेदार और कामगार कार्य कर रहे हैं लेकिन थाने मे या तहसीलदार दफ्तर में इन व्यक्तियों के उद्योगों में कार्यरत होने की बही खाता नहीं है अहम तर्क तो यह है कि आज कल भी गांव या नगर में एक-दो दिन आकर भीख मांगने या छोटा-मोटा व्यवसाय करने वालों की कोटवार थाना पंजी में रिकॉर्ड रखी जाती है परंतु बड़े बड़े उद्योगों में काम करने वालों के लिए ऐसा नहीं हो रहा है जो ध्यान देने की बात है प्रशासन इस दिशा में कोई ठोस निर्णय समय रहते नहीं बनाती है तो इस शांत क्षेत्र में भी नक्सली दबिश की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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