शांति कश्यप की जगह किसने दी थी परीक्षा,पता लगाकर एक्शन लेंगे भूपेश के मंत्री उमेश पटेल

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रायपुर। भाजपा के तीसरे शासनकाल में सर्वाधिक चर्चित मामलों में से एक शांति कश्यप नकल प्रकरण की फाइलों से धूल हटाई जा रही है क्योंकि भूपेश बघेल सरकार के नौजवान उच्च शिक्षामंत्री उमेश पटेल ने कहा है कि अब वक्त आ गया है, जब इस प्रकरण की अब तक की गई जांच की समीक्षा की जाए, यह देखा जाए कि पुलिस ने इन छह सालों में किस तरह की कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि बेशक यह बेहद गंभीर मामला है, इसकी प्रगति के बारे में जानकारी ली जाएगी तथा एक्शन भी लिया जाएगा।
मामला करीब छह साल पुराना है, जब लोहण्डीगुड़ा के शासकीय हायर सेकण्डरी स्कूल में पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय की एमए (पूर्व) के अंग्रेजी के की परीक्षा में तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप की पत्नी शांति कश्यप के स्थान पर उनकी साली किरण मोर्या को पर्चा देते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। तमाम साक्ष्य होने के बाद भी स्थानीय पुलिस ने तत्कालीन भाजपा सरकार के दबाव में अज्ञात महिला के नाम पर अपराध पंजीबध्द किया था। घटना 04 अगस्त 2015 की है।

भूपेश ने किया था घेराव
स्कूल शिक्षा मंत्री की पत्नी के स्थान पर साली को परीक्षा देते पकड़े जाने पर प्रदेश में सियासी पारा चढ़ गया था। जगदलपुर कांग्रेस ने बेहद आक्रामक तरीके से आंदोलन किया था। यह प्रदेश का अकेला ऐसा आंदोलन था, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की हैसियत से भूपेश बघेल तीन बार जगदलपुर पहुंचे और कलेक्टोरेट का घेराव किया। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने केदार कश्यप के निर्वाचिन क्षेत्र नारायणपुर में मोर्चा सम्भाला था।
अदालत भी पहुंचे
पुलिस की ढिलाई को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव मलकीत सिंह गेंदू तथा दीपक बैज (वर्तमान सांसद) ने अदालत का दरवाजा भी खटखटाया और परिवाद दायर किया परंतु इसका भी अब तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया।
सत्ता बदली पर कार्रवाई नहीं
माना जा रहा था कि भाजपा के सत्ताच्युत होने तथा कांग्रेस के सत्तासीन होने के बाद इस प्रकरण में निर्णायक कार्रवाई होगी परंतु लगभग 26 महीने के कार्यकाल में कांग्रेस सरकार ने इस मामले में कोई रुचि नहीं दिखाई। जगदलपुर कांग्रेस के पदाधिकारी भी खामोशी ओढ़े हुए हैं, जिन्होंने इस मुद्दे पर बढ़-चढ़कर भाग लिया था तथा प्रदेशव्यापी आंदोलन खड़ा करके कांग्रेस में जान फूंकी थी।
विधायकों, सांसदों की खामोशी
बस्तर की सभी बारह विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। इसके अलावा लोकसभा सदस्य दीपक बैज तथा राज्यसभा सदस्य श्रीमती फूलोदेवी नेताम हैं। मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार के रूप में राजेश तिवारी ओहदेदार हैं। बस्तर में सर्वशक्तिमान होने के बाद भी कांग्रेस के विधायकों व सांसदों की खामोशी कई तरह के सवाल खड़े कर रही है। इन छब्बीस महीनों में विधानसभा के कई सत्र आयोजित हो चुके हैं परंतु शायद एक बार ही बस्तर के किसी विधायक ने इस मामले पर सवाल किया और उसका भी संतोषजनक जवाब सरकार नहीं दे पाई।
नारायणपुर विधायक मजबूर क्यों
इस पूरे प्रकरण में नारायणपुर विधायक चंदन कश्यप की मजबूरी समझ से परे है। भाजपा सरकार के मंत्री केदार कश्यप को पराजित करके विधानसभा पहुंचने वाले चंदन कश्यप भी इस मुद्दे पर लगातार खामोश हैं। वे इस पर बात भी करना पसंद नहीं करते हैं। उनका कहना है कि यह सरकार और संगट्र का विषय है। प्रश्न यह है कि अपने प्रतिद्वंद्वी को इस तरह से छोडऩा कहीं न कहीं उनकी कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करती है।
अब नजरें उमेश पटेल पर
उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने इस मामले में एक्शन लेने की बात कहकर मुद्दे को फिर से जिंदा कर दिया है। बिलासपुर में पं. सुन्दरलाल शर्मा विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह में पहुंचे मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि अब मुन्ना-मुन्नी का खेल नहीं चलेगा। सवाल है कि लोहण्डीगुड़ा नकल प्रकरण मामले की जांच में अभी तक क्या एक्शन लिया गया। उच्च शिक्षामंत्री ने बताया कि प्रकरण काफी पुराना है। जांच हुई थी, पता लगाएंगे कि क्या कुछ अभी तक किया गया है। मामला गंभीर है..हम जरूर पता लगाएंगे। और एक्शन भी लेंगे।

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