भूपेश के किले में टीएस बाबा ने मारी सेंध : भारी खींचतान के बीच जतीन जायसवाल के नाम पर कांग्रेस की मुहर

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प्रदेश में सत्ता आने पर आसान नहीं होगी सीएम की डगर

अनुराग शुक्ला ( जगदलपुर :  न्यूज टर्मिनल)

यहां विधानसभा की सीट के लिए काफी कशमकश के बाद अंतत: पूर्व महापौर जतीन जायसवाल के नाम पर कांग्रेस हाइकमान ने मुहर लगा दी है। पूर्व विधायक रेखचंद के स्थान पर जतीन कांग्रेस के नए प्रत्याशी होंगे। इससे पहले राजीव शर्मा, मलकीत सिंह गैदू के नाम पर भी जोर अजमाया गया। बस्तर की बारह सीटों से सत्ता का रास्ता साफ होता है। ऐसे में बस्तर पर अपनी आस्था और इसे अभेद किला और गढ बताने वाले भूपेश बघेल के इलाके में टीएस बाबा ने सेंधमारी कर दी है। उनके इकलौते समर्थक जतीन जायसवाल को कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित किए जाने से यह स्पष्ट है कि भूपेश बघेल पूर्व विधायक रेखचंद जैन के विकल्प में अपने किसी प्रत्याशी के नाम पर आलाकमान की सहमति बनाने में सफल नहीं हो सके। यही नहीं टीएस सिंहदेव जिनका इलाका प्रदेश के दूसरे हिस्से में है वे बस्तर के मुख्यालय की एकमात्र अनारक्षित सीट पर अपने प्रत्याशी को स्थान दिलाने में सफल हुए हैं। राजनीति के चश्मे से देखें तो जगदलपुर की सीट कांग्रेस के लिए नहीं भूपेश और टीएस के प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी थी। अब टीएस के प्रत्याशी जतीन को यहां से कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी बनाए जाने के बाद क्या समीकरण बनेंगे यह देखना होगा। जतीन की जीत व हार से आने वाले समय में बस्तर में बस्तर में टीएस सिंह देव का सिक्का किस तरह जमेगा यह समय बताएगा। राजनीति में बस्तर जहां सत्ता का रास्ता दिखाता है वहीं यह हमेशा से बडे नेताओं को आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग के भय से भी डराता है। यही कारण है कि बस्तर के नेताओं को पहले चरण में ही पदों से नवाजा जाता है । इसके चलते किसी तरह की मांग सामने न आए।
मंत्री व अध्यक्षों के दम पर बनाया किला
सीएम भूपेश बघेल ने कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बस्तर के नेताओं के लिए थोक में पद संभाल रखा था। सभी को उन्होंने खुश किया सबसे पहले कोंटा विधायक और वरिष्ठ आदिवासी नेता कवासी लखमा को आबकारी मंत्री बनाया, इसके बाद लखमा को ही बस्तर के छह जिले का प्रभारी मंत्री बनाया। इसके अलावा विधायक लखेश्वर बघेल को बस्तर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष, मिथिलेश स्वर्णकार को क्रेडा का अध्यक्ष, राजीव शर्मा को इंद्रावती विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष, एमआर निषाद को मछली बोर्ड का अध्यक्ष, उर्दू बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर सत्तार अली, सुजाता जसवाल को उपभोक्ता फोर्म का अध्यक्ष, कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम को कांग्रेस प्रदेश कमेटी का अध्यक्ष और इसके बाद मरकाम की जगह दीपक बैज को प्रदेश कांग्रेस का जिम्मा सौंपा गया। मरकाम को मंत्री का दर्जा दिया गया।
कई खुश कई नाराज
पांच साल में कई उतार चढाव आए। कभी कोरोना तो कभी व्यापार व्यवसाय में उतार चढाव। सरकार को पूरे कार्यकाल में जूझना ही पडा। इस बीच सीएम की कुर्सी को लेकर टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल के खींचतान की खबरे आम हुई। अपनी सत्ता को चलाने के लिए प्रदेश के मुखिया ने कई निर्णय लिए। इससे कई खुश हुए तो कुछ नाराज भी हुए। बस्तर के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के आबकारी मंत्री व बस्तर के छह जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा को कांग्रेस के आलाकमान की राजधानी में हुई बैठक से दूर रखा गया। इससे वे खासे खफा हुए थे। बस्तर के टिकट वितरण के दौरान भी उनकी भूमिका खुलकर सामने नहीं आई। कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम को ठीक चुनाव के पहले ही प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया गया। इससे उनकी नाराजगी भी रही लेकिन मनाने के लिए उन्हें मंत्री का दर्जा दिया गया। इसके अलाव बस्तर की बारह सीटों में से तीन विधायकों को बाहर का रास्ता दिखाया गया। इसमें कांकेर से शिशुपाल सोरी, चित्रकोट से राजमन बेंजाम और जगदलपुर से रेखचंद शामिल हैं।

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